सरकार ने झटके में प्रतिरोधी विचारों वाली कई नामी गिरामी पत्रिकाओं की मान्यता खत्म कर दी है। इस कारण प्रोफेसरों, शोध संस्थानों के स्कॉलरों और शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक विषयों से जुड़े अध्येताओं का भारतीय समुदाय इस समय गहरी चिंता में है। उनकी इस चिंता के पीछे है बौद्धिक लोकतंत्र पर लटक रही खतरे की घंटी