राजनीतिक सन्दर्भों में वाल्मीकि का शब्द-निरूपण तत्कालीन राज्य-व्यवस्था की विद्रूपताओं का चित्रण है, जो संकेत करता है कि राजा के होते हुए भी तत्कालीन समाज अराजक स्थिति में था। कहीं अध्यात्म में डूबे शासक राज्य की भौतिक अभिवृद्धि की उपेक्षा कर रहे थे, और कहीं चरम भोगवाद धर्म की अनुभूतियों को नष्ट कर रहा था। बता रहे हैं कंवल भारती :