दलितों व पिछड़ों की राजनीति करने वाले दलों ने इस बार बिहार में सवर्णों को राज्यसभा में भेजने का निर्णय लिया है। यह बिहार में बदलते राजनीतिक समीकरण के संकेत हैं। इसे बिहार की राजनीति में अगड़ी जातियों की मजबूत पुनर्वापसी के रूप में विश्लेषित कर रहे हैं अनिल गुप्ता :