एक समय था जब विनोद काम्बली को सचिन तेंदुलकर से अधिक प्रतिभासंपन्न माना जाता था। लेकिन बाद में उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। यहां तक कि उनके उपर जातिगत टिप्पणियां भी की गयीं। आज भी सवर्णों के मन में मेरिट को लेकर भ्रांतियां कायम हैं। उन्हें अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए, बता रहे हैं वरुण ग्रोवर
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अब तक 48 लोगों को भारत रत्न सम्मान मिला है। इनमें 41 द्विज हैं। इनमें भी ब्राह्मण जाति के लोगों की संख्या सबसे अधिक 31 है। दूसरी जिस जाति के लोगों को यह सम्मान मिला है, वह कायस्थ जाति है। इस जाति के 4 लोगों को यह सम्मान मिला है
मैं यह मानता हूं कि दलित-पिछड़े वर्ग के बच्चों में भी खेल प्रतिभा है। जैसे आज वंचित समाज के बच्चे आरक्षण के कारण मौका मिलने पर इंजीनियर और डॉक्टर बन रहे हैं, वैसे ही यदि उन्हें मौका दिया जाय तो वे भी अच्छे खिलाड़ी बन सकते हैं
I believe that the children of Dalit-backward classes also have sporting talent. Just as they are becoming doctors and engineers courtesy of reservations today, if given an opportunity, they can become good sportspeople too
एक दिवसीय क्रिकेट मैच के द्वारा ब्राह्मणवादी पकड़ कमजोर पड़ रही है
ODIs are shaking the game loose of its brahminical traits