रंगमंच में सक्रिय रहते हुए श्याम के मन में हमेशा एक बेचैनी-सी बनी रहती थी और वे रंगमंच को बाबासाहेब की वैचारिकी से जोड़कर कुछ खास करना चाहते थे। अपने इसी सपने को साकार करने के लिए उन्होंने 2004 में ‘सम्यक् नाट्य संस्थान’ की स्थापना की
Shyam was always restless and wanted to do something to associate Babasaheb’s ideology with theatre. In pursuance of his objective, in 2004, he established the Samyak Natya Sansthan