पिछले तीन वर्षों से केंद्र सरकार ने रोजगार संबंधी आंकड़े जारी नहीं किए हैं। नीति आयोग के उपाध्यक्ष रहे अरविन्द पनगढ़िया ने भी इस संबंध में बातें कही थीं। लेकिन, जब कोई आंकड़े ही नहीं हैं, तो फिर सवर्णों में गरीबी का उसका पैमाना क्या है और किस आधार उन्हें आरक्ष्ण देने की बात कही जा रही है