आदिवासी ही आदिम कलाकार और साहित्यकार हैं। उनका अधिकांश साहित्य उनके सामूहिक जीवन की अभिव्यक्ति है, जिसके मूल में मनुष्य और प्रकृति के प्रति गहरा जुडाव है। इन आदिम कलाकारों और उनकी कृतियों को किस तरह किनारे लगाया गया और इसके पीछे क्या प्रयोजन था, इसका विश्लेषण कर रहे हैं विकाश सिंह मौर्य :