बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने भले ही संसद में बहिष्कार का दिखावा कर भाजपा को मदद पहुंचाई, लेकिन अभी तक उन्होंने यह साफ नहीं किया है कि वे अपने राज्य में सीएए को लागू करेंगे अथवा नहीं। ‘हां’ या ‘ना’ के बीच डोल रही नीतीश की सियासत पर नवल किशोर कुमार की रिपोर्ट
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बिहार में जातिवाद भी गजब का है। यह वही बिहार है जहां कभी काला झंडा दिखाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर बच्चियों के काले टुपट्टे तक प्रतिबंध लगा दिया गया था। आज सवर्ण सरेआम भाजपा के बड़े नेताओं को काले झंडे दिखा रहे हैं। उन्हें अपमानित कर रहे हैं। लेकिन फिर भी उनकी जुबान से एक शब्द नहीं निकल रहा। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
लोकतंत्र में जनता को विरोध करने का अधिकार है। यह अधिकार विपक्षी दलों को भी हासिल है। लेकिन बिहार में इस अधिकार के हनन की कोशिशें की जा रही हैं। लोग विरोध न कर सकें, इसके लिए सरकार बांड भरवा रही है। इससे जुड़े तमाम पहलुओं के बारे में बता रहे हैं नवल किशोर कुमार :
The citizens of a democracy have the right to dissent, so do the parties in the opposition. But it doesn’t seem to be the case in Bihar