असम में चुनाव होने हैं। वहां के चाय श्रमिक जिनमें अधिकांश आदिवासी हैं, अपने संवैधानिक दर्जे के लिए संघर्षरत हैं। उनका कहना है कि पिछली बार भाजपा ने उनके साथ ठगी की। बता रहे हैं राजन कुमार
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हिरामन कहते हैं कि कोरवा भाषा शब्दकोश बनाने के पीछे उनका मकसद था कि कोरवा भाषा का उत्थान। इसके लिए बचपन से कोरवा भाषा के जिन शब्दों का संग्रह किया था, उसे पुस्तकाकार दिया। बता रहे हैं विशद कुमार
राजन कुमार से विशेष बातचीत में ‘दलित आदिवासी दुनिया’ के संपादक मुक्ति तिर्की बता रहे हैं पश्चिम बंगाल और असम के चाय बागानों में काम करने वाले आदिवासी श्रमिकों के बारे में। उनके मुताबिक वे दो सौ साल बाद भी बंधुआ मजदूर हैं। उन्हें न्यूनतम मजदूरी भी नहीं दी जा रही है। वहीं असम में उन्हें एसटी का दर्जा भी हासिल नहीं है
छत्तीसगढ़ के ब्राह्मण समाज के लोगों ने भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसके लिए वे उनके पिता नंदकुमार बघेल को माध्यम बना रहे हैं। उनका कहना है कि नंदकुमार बघेल के विचारों से उनका ब्राह्मणवाद छलनी हो रहा है। बता रहे हैं गोल्डी एम. जॉर्ज
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण के सन्दर्भ में दिए गए फैसले का सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक दुष्प्रभाव समाज के कमजोर और उपेक्षित वर्गों के ऊपर सीधे तौर पर पड़ेगा। यह फैसला संविधान की मूल भावना का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन करता है। ओमप्रकाश कश्यप का विश्लेषण
गोल्डी एम. जार्ज बता रहे हैं कि कैसे हेमंत सोरेन सरकार की पहली कैबिनेट की बैठक के निर्णय आदिवासियों के संघर्षों की स्वीकृति है. आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन के संघर्ष को स्वीकृति प्रदान करने की दिशा में मुंख्यमंत्री सोरेन द्वारा उठाया गया यह पहला महत्वपूर्ण कदम है. इस दिशा में भविष्य में बहुत कुछ किया जाना बाकी है
ओबीसी वर्ग पहले से कहीं अधिक जागरूक हो गया है। इस वर्ग के सवालों को लेकर दो दिवसीय सम्मेलन होने वाले हैं। वहीं देश में आदिवासी और जनजातियों के मुद्दों पर कई बड़े जलसे और सभाएं हो रही हैं। आइए, जानते हैं इस हफ्तावार कॉलम में देश के बौद्धिक और अकादमिक जगत में आगामी दिनों में होने वाले आयोजनों के बारे में
हम हिंदू नहीं हैं, हम भील और गोंड भी नहीं हैं। हम आदिवासी हैं। सरकार 2021 में होने वाली जनगणना में आदिवासी धर्म के लिए अलग कोड और कॉलम निर्धारित करे। यह मांग 25 फरवरी 2019 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एकजुट हुए आदिवासियों ने की। इस मौके पर बामसेफ के खिलाफ भी आवाज उठी
भारतीय संविधान में आदिवासी हिंदू की श्रेणी में रखे गए हैं। परंतु कानूनों में प्रावधान अलग हैं। इसका खामियाजा आदिवासियों को उठाना पड़ता है
जनजातियों के संबाेधन के लिए बहुत सारे शब्द प्रयोग में लाए जाते हैं। जैसे मूलनिवासी, देशज, वनवासी, गिरिवासी, गिरिजन, जंगली, आदिम, आदिवासी इत्यादि। लेकिन, इन सबमें आदिवासी शब्द बहुत ही नकारात्मक और अपमानजनक है। सूर्या बाली ‘सूरज’ का विश्लेषण :
The Scheduled Tribes are addressed by a variety of terms – Mulnivasi, Deshaj, Vanvasi, Girivasi, Jungli, Adim and Adivasi. But of all the terms, Adivasi is the most negative and obnoxious, writes Surya Bali