मेरे लिए यह एक ईश्वरीय प्रेरणा ही थी कि मैं भारत लौटूं और मूक बहुजन बहुसंख्यकों को मंच उपलब्ध कराने के लिए एक द्विभाषी (अंग्रेजी व हिन्दी) पत्रिका शुरू करूं, जिसका विशेष फोकस उन किसानों और शिल्पकारों पर हो, जो ओबीसी का सबसे बड़ा हिस्सा हैं और जिनकी कोई आवाज ही नहीं है