किसान नेता राकेश टिकैत कह ही चुके हैं कि जिन्ना, दंगा, कैराना सब इस इलाक़े में कुछ दिनों के मेहमान हैं। उनका दावा है कि 10 मार्च को चुनावी नतीजे आने के साथ ही न तो ये मुद्दे रहेंगे और ना ही इस इलाक़े में ऐसे मुद्दे उठाने वाले। पढ़ें, सैयद जै़गम मुर्तजा की जमीनी रपट
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राज्यसभा सांसद सैयद नासिर हुसैन के मुताबिक उन्होंने केंद्र से यह जानना चाहा था कि आखिर जेलों में दलित और मुसलमान ही सबसे अधिक क्यों हैं। लेकिन सरकार ने केवल आंकड़े दिए। जबकि कारण महत्वपूर्ण हैं। नवल किशोर कुमार की खबर
असम में चुनाव होने हैं। वहां के चाय श्रमिक जिनमें अधिकांश आदिवासी हैं, अपने संवैधानिक दर्जे के लिए संघर्षरत हैं। उनका कहना है कि पिछली बार भाजपा ने उनके साथ ठगी की। बता रहे हैं राजन कुमार
डॉ. रामविलास शर्मा के विचारों को विस्तार देते हुए कंवल भारती मानते हैं कि भारत में यदि फासिस्ट तानाशाही कायम होती है, तो इसकी एकमात्र जिम्मेदारी, कम्युनिस्ट पार्टी में मौजूद, ऊंची जाति पर होगी, और ऊंची जाति में भी सबसे ज्यादा ब्राह्मण वर्ग पर
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की सदस्य सुधा यादव के मुताबिक अगले सप्ताह तक आयोग बी.पी. शर्मा कमेटी की अनुशंसा से संबंधित कैबिनेट नोट के आलोक में अपनी रिपोर्ट सरकार को दे देगा। यह जानकारी उन्होंने गत 21 जुलाई को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से आयोग के सदस्यों की विशेष मुलाकात के बाद फारवर्ड प्रेस से बातचीत में दी। नवल किशोर कुमार की खबर
ओबीसी आरक्षण पर आए इस संकट को वे भी समझ रहे हैं जो मौजूदा दौर में सरकार का हिस्सा हैं, लेकिन वे चाहकर भी मुंह नहीं खोल पा रहे हैं। इनमें से एक राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष भगवानलाल साहनी हैं जो स्वयं बिहार में अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं और निषाद समुदाय के हैं। नवल किशोर कुमार की खबर
बीते 31 अक्टूबर, 2019 से जम्मू-कश्मीर में भले ही पूर्ववर्ती निजाम के कानूनों को निष्प्रभावी बना दिया गया, लेकिन अभी भी दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण से जुड़े प्रावधान नहीं बदले गए हैं। यह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के संसद में उद्वोधन के विपरीत है। उन्होंने कहा था कि धारा 370 के खात्मे से जम्मू-कश्मीर में इन वर्गों को आरक्षण का समुचित लाभ मिलेगा। नवल किशोर कुमार की खबर
गत 10 जनवरी, 2020 से देश में सीएए को लागू कर दिया गया है। यह इसके बावजूद कि देश भर में इसका व्यापक विरोध हो रहा है और कई राज्य सरकारों ने इसे लागू नहीं करने की बात कही है। इन सबके बीच गोल्डी एम. जार्ज बता रहे हैं कि बहिष्करण पर आधारित नया नागरिकता कानून क्यों और कैसे बनाया गया? साथ ही यह भी कि इस कानून में ताजा परिवर्तनों के क्या निहितार्थ हैं.
How did the exclusionary citizenship law of today come to be? Goldy M. George traces the birth of the Citizenship Act and the several amendments it underwent over the years and explains the implications of the hotly debated latest amendment
छत्तीसगढ़ के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने फारवर्ड प्रेस के हिंदी संपादक नवल किशोर कुमार से विशेष बातचीत में कहा है कि पिछले वर्ष ही करीब 10 लाख आदिवासी परिवारों को बेघर कर देने का फैसला सामने आया था। उनके पास भी पहचान की समस्या थी। एक बार फिर सरकार ने सीएए बनाया है
ताबिश बलभद्र बता रहे हैं कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) क्या है और इसे लेकर संसद से लेकर सियासी गलियारे तक में किस तरह की चर्चा चल रही है। वे एनआरसी व इससे जुड़े इतिहास का भी अवलोकन कर रहे हैं