जब से पूंजीवादी अर्थव्यवस्था लागू हुई है, हर 25-30 वर्षों में उसे किसी न किसी रूप में मंदी के दौर से गुजरना पड़ा है। अपने खुशनुमा दौर में बड़े उद्यम, पूंजीपति सरकार को जितना कराधान आदि के रूप में देते हैं, एक अंतराल के बाद या समय-समय पर, सरकार को बेल-आउट पैकेज के रूप में उन्हें लौटाना पड़ता है। कोरोना के मद्देनजर उत्पन्न स्थितियों की विवेचना कर रहे हैं ओमप्रकाश कश्यप