वर्ष 2011 में हुए जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गयी है। जबकि तीन साल बाद 2021 में फिर से जनगणना किया जाना है। ऐसे में यह सवाल तो उठता ही है कि आखिर किन कारणों से रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया। ऐसे ही सवाल को लेकर रामबहादुर राय और दिलीप मंडल के बीच खींचतान सामने आयी। बता रहे हैं डॉ. सिद्धार्थ :
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अन्य दलितों और पिछड़ों के साथ एकजुट होकर और नए नायकों को अपनाकर पसमांदा, श्रेष्ठि वर्ग की जातिवादी अल्पसंख्यक राजनीति के चंगुल से मुक्त हो गए हैं
By making common cause with other Dalits and Backwards and adopting new icons, the Pasmandas have broken free from the grip of elite and casteist minority politics