जनार्दन गोंड बता रहे हैं झारखंड की सुषमा असुर और केरल की दलित छात्रा देविका बालाकृष्णन के बारे में। उनके मुताबिक सुषमा असुर एंड्रायड फोन और मोबाइल नेटवर्क के सुचारू नहीं होने से ऑनलाइन क्लासेज नहीं कर पा रही हैं तो दूसरी ओर देविका ने मारे हताशा के खुदकुशी कर ली
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विशद कुमार बता रहे हैं झारखंड और ओडिशा के सीमावर्ती जिलों में रहने वाली सबर आदिम जनजाति के बारे में। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में इस जनजाति की आबादी मात्र 9,898 रह गई थी। उनके मुताबिक यह स्थिति राज्य सरकार की इस जनजाति के प्रति उपेक्षा का नतीजा है
विशद कुमार बता रहे हैं झारखंड के सुदूर गुमला और लातेहार के पठारी इलाकों में रहने वाले असुर आदिम जनजाति के लाेगों के द्वारा शुरू किए गए सामुदायिक रेडियो के बारे में। ये वही हैं जिन्हें हिंदू धर्म ग्रंथों में खलनायक बताया गया है। जबकि वे भी अन्य सभी के जैसे इंसान हैं और अपने अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं
छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक अस्मिता की लड़ाई लड़ने वाले लोकेश सोरी के निधन पर बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शोक व्यक्त किया है। लोकेश कैंसर से ग्रस्त थे। बीते 11 जुलाई को उनका निधन हो गया
Intellectuals and social activists express their condolences over the passing of Lokesh Sori, who fought for cultural, social and political identity of Chattisgarh’s Adivasis. Sori died of cancer on 11 July
मानव सभ्यता के इतिहास का पुनर्पाठ करते हुए प्रेमकुमार मणि बता रहे हैं कि वैदिक काल के दौरान आर्यों-हिन्दुओं के अलावा आर्यों के विभिन्न समूहों के बीच भी सामाजिक और सांस्कृतिक दोनों तरह के संघर्ष हुए। इन संघर्षों के कारण जहां एक ओर आर्य और हिन्दू दोनों के बीच समन्वय की स्थिति बनी तो दूसरी ओर वर्ण व्यवस्था ने भी जन्म लिया
जनजातियों के संबाेधन के लिए बहुत सारे शब्द प्रयोग में लाए जाते हैं। जैसे मूलनिवासी, देशज, वनवासी, गिरिवासी, गिरिजन, जंगली, आदिम, आदिवासी इत्यादि। लेकिन, इन सबमें आदिवासी शब्द बहुत ही नकारात्मक और अपमानजनक है। सूर्या बाली ‘सूरज’ का विश्लेषण :
The Scheduled Tribes are addressed by a variety of terms – Mulnivasi, Deshaj, Vanvasi, Girivasi, Jungli, Adim and Adivasi. But of all the terms, Adivasi is the most negative and obnoxious, writes Surya Bali
झारखंड के गुमला जिले में दो दिनों के अंदर दो युवतियों ने खुदकुशी कर ली है। दोनों घटनायें एक ही मुहल्ले की हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार दोनों मामले संदिग्ध हैं। लेकिन पुलिस इन्हें खुदकुशी की सामान्य घटनाएं मान रही है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
ब्राह्मणवादियों में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा ‘नारी शक्ति’ का सम्मान हासिल कर चुकीं सुमन सौरभ का खौफ इतना गहरा और असरकारी था कि वह इस समय हत्या की सुपारी देने के आरोप में जेल में हैं। बीते 27 सितंबर 2018 को जमानत याचिका भी नवादा जिला कोर्ट ने खारिज कर दी। फारवर्ड प्रेस की खबर :
यह पुस्तक सिर्फ महिषासुर ही नहीं, बल्कि बहुजन संस्कृति और परंपराओं पर विस्तार से प्रकाश डालती है और इसमें दस्तावेज़ी महत्त्व की कई ऐसी सामग्री है जो बहुजन इतिहास-लेखन का प्रस्थान बिंदु बन सकती है। वीणा भाटिया की समीक्षा :
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत जैसे बहुलवादी विशालकाय समाज में सांस्कृतिक बहुलता के घटाटोप में प्रायः अभिजन मुहावरे में ही सांस्कृतिक भिन्नता की चर्चा होती रही है। श्रमशील बहुजन समाज की संस्कृति और परंपरा को प्रायः असभ्य, सुरुचिविहीन और गैर-सांस्कृतिक करार देकर हाशिए पर ढकेलने की दुरभिसंधि होती रही है। ‘महिषासुर-मिथक व परंपराएं’ इसके विरुद्ध बौद्धिक हस्तक्षेप सरीखा है। आउटलुक में प्रकाशित वीरेंद्र यादव की समीक्षा :
It is unfortunate that in a giant pluralist society like India, cultural differences are talked about only in elitist idioms. The culture and tradition of the labouring Bahujan society is usually described as uncivilized, tasteless and and non-cultural and pushed to margins. ‘Mahishasur: Mithak Va Paramparayen’ intellectually challenges this attitude. This review by Virendra Yadav was published in the ‘Outlook’ magazine