दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा गाजीपुर आंदोलन स्थल पर इन दिनों सावित्रीबाई फुले पाठशाला का संचालन किया जा रहा है। इस पाठशाला में आंदोलन में शामिल होने वाले बच्चे और कूड़ा बीनने वाले बच्चे प्राथमिक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इस पाठशाला की संचालिका निर्देश सिंह से सुशील मानव की खास बातचीत
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‘माटी संकल्प मार्च’ में शामिल दलित-बहुजन अपने साथ डेढ़ सौ मीटर लंबा बौद्ध धम्म ध्वज और तिरंगा, लेकर चल रहे थे। वहीं कई बैनरों पर “साझी विरासत और साझी शहादत” के नारे थे। इस दौरान लोगों ने ‘जय भीम’ के नारे के साथ ‘जय किसान’ और ‘जय जवान’ के नारे लगाए। बता रहे हैं सुशील मानव
महेश चौधरी बता रहे हैं जाट समुदाय से आने वाले चौधरी चरण सिंह के बारे में। उनके मुताबिक, किसानों के हितैषी के रूप में उनकी पहचान तो राष्ट्रव्यापी रही ही, सामाजिक न्याय के लिए भी वे प्रतिबद्ध रहे
शूद्र सेवा करें और चुपचाप सहें। महिलाएं बच्चा पैदा करें और घर में खप जाएं। इसीलिए भारत में हनुमान मंदिरों की बहुतायत है क्योंकि शक्ति में विराट लेकिन विवेकशून्य सेवक ब्राह्मणवादी व्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण है। रामजी यादव का विश्लेषण
किसान आंदोलन के संदर्भ में उत्तर प्रदेश दो भागों में बंट गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान आंदोलन कर रहे हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों में सुगबुगाहट भी नहीं है। इसकी वजह क्या है, बता रहे हैं सुशील मानव
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक दादा हीरा सिंह मरकाम का निधन बीते 28 अक्टूबर को हो गया। आज गोंड भाषा, संस्कृति और साहित्य के अध्येता आचार्य मोतीरावण कंगाली की पुण्यतिथि है। इन दोनों शख्सियतों को कोइतूर समुदाय के लोग “हीरा-मोती” कहते थे। इनके योगदानों को याद कर रहे हैं डा. सूर्या बाली
आधुनिक भारत के इतिहास में 19वीं शताब्दी सही मायनों में परिवर्तन की शताब्दी थी। अनेक महापुरुषों ने उस शताब्दी में जन्म लिया। उनमें से यदि किसी एक को ‘आधुनिक भारत का वास्तुकार’ चुनना पड़े तो वे जोतीराव फुले ही होंगे। बता रहे हैं ओमप्रकाश कश्यप
जनहित अभियान के संयोजक राज नारायण बता रहे हैं कि जाति जनगणना से ही ठीक-ठीक यह पता चल पाएगा कि किस जाति का देश के संसाधनों एवं संपत्ति पर कितना कब्जा है। उनका यह भी कहना है कि जाति जनगणना के नाम पर ओबीसी की गणना की मांग भरमाने वाली बात है। प्रस्तुत है, राजनारायण से नवल किशोर कुमार की बात-चीत का संपादित अंश :
Raj Narayan, convenor of Janhit Abhiyan, tells Nawal Kishore Kumar that only a caste census would reveal the share of different castes in country’s resources. He also contends that the demand to count just the OBCs is misplaced
ज. वि. पवार की यह किताब मूल रूप से मराठी में थी, जिसका अंग्रेजी अनुवाद पिछले वर्ष फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित किया गया था। महज एक वर्ष के अंदर ही इसके दो संस्करण निकाले जा चुके हैं। अब इसे हिंदी में प्रकाशित किया गया है। सिद्धार्थ बता रहे हैं हिंदी के पाठकों के लिए इस किताब के महत्व के बारे में
J.V. Pawar had originally written this book in Marathi. Its Hindi translation, published by the Forward Press, is already in its second edition. Now, Forward Press has released the Hindi edition
लेखक ओमप्रकाश कश्यप बता रहे हें कि किस तरह की परिस्थितियों का सामना कर संत अय्यंकाली ने केरल में दलित जातियों को गोलबंद किया और उन्हें राजनीतिक, शैक्षणिक और सामाजिक स्तर पर मजबूत बनाया
Om Prakash Kashyap writes how Saint Ayyankali forged the unity of Dalit castes of Kerala against all odds and helped them grow politically, educationally and socially