पिछले वर्ष पुलवामा हमले में शहीद जवानों में एक पटना जिले के संजय कुमार सिन्हा भी थे। उनके परिजनों के मुताबिक सरकार की ओर से मुआवजे की राशि दे दी गई है और एक बेटी को बिहार सरकार ने नौकरी भी दी है, लेकिन जख्म अब भी हरे हैं। बता रहे हैं नवल किशोर कुमार
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शहीदों में कोई शुक्ल, मिश्र, तिवारी, जोशी, झा, पांडे, उपाध्याय, पाठक, नंबूदरीपाद या भागवत आदि ब्राह्मण सरनेम वाला क्यों नहीं है? इसे लेकर सोशल मीडिया पर यह सवाल उठ रहे हैं। फारवर्ड प्रेस ने इसकी सच्चाई पता लगाने की कोशिश की
भारतीय राजनीति में ‘हिन्दू राष्ट्र’ की अवधारणा से प्रेरित कई संगठन आतंकी हमलों में शामिल रहे हैं। स्वामी असीमानंद, स्वामी दयानंद, साध्वी प्रज्ञा सिंह और उनके साथी ऐसे लोगों में शामिल हैं। दुर्भाग्यवश, यह गलत धारणा कि ‘सभी आतंकी मुसलमान होते है’ ने बरसों तक उन्हें बचाए रखा। निश्चित तौर पर इस मामले में निष्पक्षता से और सभी पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर जांच किए जाने की आवश्यकता है
There was a strong suspicion amongst those who have been following the acts of terror from critical angle that the Bodh Gaya terror act might have something to do with Nitish Kumar walking out of NDA since Narendra Modi was appointed as the campaign committee chief by the BJP for 2014 parliamentary elections