पुस्तक की भूमिका का पहला वाक्य, जिसमें डा. तुलसीराम ने अपनी आत्मकथा के लिए अत्यंत चौंका देने वाला शीर्षक ‘मुर्दहिया’ चुनने का कारण बताया है, ने मुझे हिला कर रख दिया। कारण यह था कि डा. तुलसीराम के जन्मस्थल धरमपुर को जाने वाला हर रास्ता इस श्मशान से होकर गुजऱता था