गांधी की हत्या से पेरियार दुखी थे। उन्होंने ‘कुदी आरसु’ में दो संपादकीय लिखे। उन्होंने लिखा कि वर्णाश्रम व्यवस्था के कायम रहने तक, जिसने गांधी को हमसे छीन लिया है, पंडित नेहरू तथा राजगोपालाचारी अपनी संपूर्ण निष्ठा, बुद्धिमानी और नि:स्वार्थ कोशिशों के बावजूद इस देश में सुशासन नहीं ला सकते