कम्युनिस्ट ब्राह्मणों को भी यह पता है कि उनकी प्राचीन सभ्यतागत जड़ों में कुछ मूलभूत समस्याएं हैं। उनमें से कई ने कार्ल मार्क्स, सिगमंड फ्रायड, आइंस्टीन और अन्य यहूदी चिंतकों, जिन्होंने वैश्विक सभ्यता की राह बदल दी, को पढ़ा है। परंतु उन्होंने कभी स्वयं के उत्पादन-विरोधी दैवीय, सामाजिक व सांस्कृतिक सिद्धांतों का अध्ययन नहीं किया। पढ़ें, कांचा इलैया शेपर्ड का यह विस्तृत आलेख