संचार का सामाजिक ढांचा एक बड़े सांस्कृतिक प्रश्न से जुड़ा हुआ है। यह केवल बड़बोलेपन से विकसित नहीं हो सकता है। यह बेहद सूक्ष्मता और संवेदनशीलता की मांग करता है। संसद और विधानसभाओं में जाने वाले बहुत सारे नेता हो सकते हैं लेकिन एक सांस्कृतिक नेता की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका उन सभी से बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि वह वंचना के कई स्तरों और रूपों की जानकारी से चेतना को धारदार बनाने में मदद कर सकता है। अनिल चमड़िया का विश्लेषण