भारत में परंपरा से बहुजन समाज कारीगरों, श्रमिकों और किसानों का समाज रहा है। राज्याश्रित समाजवादी ढ़ांचे की अर्थव्यवस्था ने इसका अपेक्षित उपयोग नहीं किया। इसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ी। लेकिन अब क्या हो, जब मुक्त अर्थव्यवस्था ने मार्केट सेन्ट्रिक ग्रोथ की आधाारशिला रख दी है और राज्य ने अपने हाथ खींच लिए हैं। बता रहे हैं प्रेमकुमार मणि