संसद में उच्च जातियों का वर्चस्व 1977 के चुनावों के बाद से ही घटने लगा था। वर्तमान में भी एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों के सांसदों की कुल संख्या उच्च जाति के सांसदों की संख्या से अधिक है। फिर आखिर क्या कारण है जो सरकार आरक्षण, श्रम और सामाजिक न्याय के अन्य मुद्दों पर मनमानी करने में आसानी से कामयाब हो जाती हैं? बता रहे हैं ओमप्रकाश कश्यप