प्रकाश आंबेडकर के अनुसार सीएए-एनपीआर-एनआरसी आरएसएस के मूल वैदिक मनुवादी दर्शनशास्त्र को भारत में पुनः स्थापित करने का ज़रिया हैं। यदि भारत में यह दमनकारी कानून लागू हुआ तो विश्व समुदाय के बीच नागरिकता के सवाल पर नकारात्मक संदेश जाएगा। संभव है कि दूसरे देशों में रहने वाले भारतीयों को मिलने वाले अधिकार छीने लिए जाएं
–
सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में अब दलित, पिछड़े,आदिवासी व मुसलमान एकजुट हो रहे हैं। ऐसी ही एकजुटता बीते 4 मार्च को प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व में दिल्ली के जंतर-मंतर पर देखने को मिली। सुशील मानव की खबर
सीएए और एनआरसी को लेकर दिल्ली में दंगे के शिकार फारवर्ड प्रेस से जुड़े स्वतंत्र पत्रकार सुशील मानव हुए। दिल्ली के तनावपूर्ण मौजपुर इलाके में उन्मादी भीड़ ने उन्हें बुरी तरह मारा और पिस्तौल की नोंक पर हनुमान चालीसा व गायत्री मंत्र पढ़ने को कहा। पत्रकारों पर हमला प्रेस की आजादी पर सीधा हमला है
अनुराग मोदी बता रहे हैं कि यूपी में योगी सरकार एक खास धर्म के लोगों को इसलिए निशाना बना रही है क्योंकि वह 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कर लेना चाहती है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे गुजरात में मोदी-शाह की जोड़ी ने किया था
गत 10 जनवरी, 2020 से देश में सीएए को लागू कर दिया गया है। यह इसके बावजूद कि देश भर में इसका व्यापक विरोध हो रहा है और कई राज्य सरकारों ने इसे लागू नहीं करने की बात कही है। इन सबके बीच गोल्डी एम. जार्ज बता रहे हैं कि बहिष्करण पर आधारित नया नागरिकता कानून क्यों और कैसे बनाया गया? साथ ही यह भी कि इस कानून में ताजा परिवर्तनों के क्या निहितार्थ हैं.
How did the exclusionary citizenship law of today come to be? Goldy M. George traces the birth of the Citizenship Act and the several amendments it underwent over the years and explains the implications of the hotly debated latest amendment
लेखक अलख निरंजन बता रहे हैं कि सीएए का विरोध इसलिए भी आवश्यक है कि जिस मंशा के साथ यह सब किया जा रहा है, उसके केंद्र में केवल मुसलमानों को अलग-थलग करना ही नहीं, बल्कि द्विजवादी वर्चस्व के खिलाफ उठ रहे विरोधों का दमन करना भी है
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने भले ही संसद में बहिष्कार का दिखावा कर भाजपा को मदद पहुंचाई, लेकिन अभी तक उन्होंने यह साफ नहीं किया है कि वे अपने राज्य में सीएए को लागू करेंगे अथवा नहीं। ‘हां’ या ‘ना’ के बीच डोल रही नीतीश की सियासत पर नवल किशोर कुमार की रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने फारवर्ड प्रेस के हिंदी संपादक नवल किशोर कुमार से विशेष बातचीत में कहा है कि पिछले वर्ष ही करीब 10 लाख आदिवासी परिवारों को बेघर कर देने का फैसला सामने आया था। उनके पास भी पहचान की समस्या थी। एक बार फिर सरकार ने सीएए बनाया है
ताबिश बलभद्र बता रहे हैं कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) क्या है और इसे लेकर संसद से लेकर सियासी गलियारे तक में किस तरह की चर्चा चल रही है। वे एनआरसी व इससे जुड़े इतिहास का भी अवलोकन कर रहे हैं
सीएए-एनआरसी के बहाने मुसलमानों को अलग-थलग करने की भाजपा की साजिश के खिलाफ उठ खड़ा होने का आह्वान प्रकाश आंबेडकर ने किया है। फारवर्ड प्रेस के हिंदी संपादक नवल किशोर कुमार से विशेष बातचीत में उन्हाेंने इसे काले कानून की संज्ञा दी है और इसे दलित-बहुजनों के लिए खतरनाक बताया है
Prakash Ambedkar urges the nation to stand up to the BJP conspiracy to alienate the Muslims. He says that the CAA is a ‘black law’ that is dangerous for the Dalitbahujans. Nawal Kishore Kumar interviewed him