जहां तक आरम्भिक आदिवासी हिंदी महिला लेखन की बात है, तो उसमें पहला नाम सुशीला सामद का आता है। उनका जन्म 7 जून, 1906 को चाईबासा में हुआ। एक बड़ी लेखक के अलावा, वह सामाजिक और सांस्कृतिक नेत्री थीं। वे बिहार विधानसभा में विधान पार्षद भी रहीं। आदिवासी लेखिकाओं और उनके सृजन के बारे में बता रही हैं नीतिशा खलखो