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लेखक अरविन्द जैन बता रहे हैं तमिलनाडु की जे. शर्मिला के बारे में जिन्होंने प्रसवाकाश को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ी। यह लड़ाई उन्होंने जीती। लेकिन अब भी कानूनी उलझनें सुलझी नहीं हैं
लेखक अरविन्द जैन बता रहे हैं तलाक की कहानी। उनके मुताबिक, तलाक के लिए बने कानूनों में पेचीदगियों की कोई कमी नहीं। लिहाजा जिस रफ्तार से कानून बनते जा रहे हैं, परिवारों के टूटने की रफ्तार में भी गुणोत्तर वृद्धि हुई है
लेखक अरविंद जैन बता रहे हैं कि कैसे सुचित्रा विश्नोई नामक एक महिला ने कार्य-स्थल पर अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के खिलाफ अपना मुंह खोला और लड़ाई लड़ी
अरविंद जैन बता रहे हैं कि स्त्रियों को “संपत्ति और सत्ता में बराबर हिस्से के लिए स्त्रियों को वैधानिक, संवैधानिक और अन्य सभी अधिकारों का इस्तेमाल हथियारों की तरह करना होगा। सौंदर्य के लिए ‘प्राइज’ (पुरस्कार) नहीं बल्कि बौद्धिक क्षमताओं और श्रम के ‘प्राइस’ (मूल्य) के लिए लड़ना होगा
हिमाचल प्रदेश के जनजातीय इलाके किन्नौर में बहु-पति प्रथा है। सगे भाइयों की साझा पत्नी की यह प्रथा मैदानी इलाकों के लिए आश्चर्यजनक है। स्थानीय निवासी अमीर लामा बता रहे हैं कि किन्नौर के लाेग इस प्रथा का पालन कैसे करते हैं
भारतीय दंड संहिता में ऐसे प्रावधान हैं जिनके कारण बलात्कारी बच निकलते हैं। जबकि पीड़िता को समाज और परिवार में पीड़ा ताउम्र झेलनी पड़ती है। यह स्थिति आज भी है
Arvind Jain writes that it is ironical that even today, whether explicitly or implicitly, unmarried women are preferred for employment in the government and the private sectors and married women are considered ineligible
विचित्र विडंबना है कि आज भी घोषित-अघोषित रूप से भारतीय समाज और गैर-सरकारी क्षेत्र में अविवाहित लड़कियों को ही प्राथमिकता दी जाती है और विवाहित स्त्रियों को नौकरी के लिए ‘अयोग्य’ समझा जाता है
भारत के कानून यहां के पितृसत्ता को संपोषित करने वाले सामाजिक व्यवस्था के माकूल ही हैं। यौन स्वतंत्रता का अधिकार केवल पुरूषों को है। महिलाओं के हिस्से में है कानून और नैतिकता की विधिक व सामाजिक जिम्मेदारी
Arvind Jain writes: According to the Hindu Marriage Act, marriage of girls below 18 years of age is a punishable offence. But then there is also a law that does not treat forcible sex with a girl below 18 by her husband as rape
हिन्दू विवाह अधिनियम के मुताबिक 18 वर्ष की कम उम्र की लड़कियों की शादी दंडनीय अपराध है। लेकिन एक कानून ऐसा भी है जो 18 वर्ष से कम उम्र की ब्याहता के साथ पति के द्वारा जबरन सहवास को बलात्कार नहीं मानता
गर्भवती महिला यदि अपनी कोख में पल रही बच्ची को बचाना चाहे तो भी कानून के बावजूद शायद ही ऐसा कर पाए। वजह यह कि उसे अपने पति व अन्य परिजनों के खिलाफ सबूत कोर्ट को देने हाेंगे और ऐसा नही कर पाने पर उसे दस वर्षों तक जेल में रहना होगा