आगामी 27 और 28 फरवरी को तीन कार्यक्रमों में फारवर्ड प्रेस द्वारा हाल ही में प्रकाशित इस किताब का विमोचन किया जाएगा। दो कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में रविदास महासभा और सावित्रीबाई फुले जन साहित्य केंद्र के तत्वावधान में होंगे। जबकि वेबिनार का आयोजन फारवर्ड प्रेस द्वारा होगा
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संजय कुमार ने सीएसडीएस के निदेशक के रूप में बिहार के चुनाव को काफी नजदीक से देखा है। चुनाव में जाति की भूमिका, जातियों का राजनीतिक चरित्र और मतदान की प्रवृत्ति का भी गहन अध्ययन किया है। उनकी पुस्तक ‘बिहार की चुनावी राजनीति: जाति-वर्ग का समीकरण (1990-2015) बिहार के तीन दशकों की राजनीति पर व्यापक अध्ययन है
आंबेडकर के परिनिर्वाण के बाद दलित पैंथर का काल, आंबेडकरवादी आंदोलन का स्वर्णकाल था। इसके सह-संस्थापक ज. वि. पवार बता रहे हैं उन तत्वों के बारे में जिनके कारण उन्होंने 1972 में अमेरिका में अश्वेतों के आंदोलन ब्लैक पैंथर के तर्ज पर शुरू हुए इस आंदोलन का आधिकारिक इतिहास लिखने की प्रेरणा मिली
फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित और दलित पैंथर के सह-संस्थापकों में से एक ज. वि. पवार द्वारा लिखित “दलित पैंथर : एक आधिकारिक इतिहास” एक दस्तावेज़ है, जिसके आधार पर 1970 के दशक में महाराष्ट्र में हुए क्रांतिकारी दलित आंदोलन के सभी पहलुओं को समझा जा सकता है
कंवल भारती द्वारा लिखित पुस्तक आरएसएस और बहुजन चिंतन का प्रकाशन फारवर्ड प्रेस द्वारा किया गया है। यह किताब आरएसएस की व्याख्या आंबेडकर के नजरिए से करती है। इस किताब को अमेजन के जरिए घर बैठे मंगाया जा सकता है
ज. वि. पवार की यह किताब मूल रूप से मराठी में थी, जिसका अंग्रेजी अनुवाद पिछले वर्ष फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित किया गया था। महज एक वर्ष के अंदर ही इसके दो संस्करण निकाले जा चुके हैं। अब इसे हिंदी में प्रकाशित किया गया है। सिद्धार्थ बता रहे हैं हिंदी के पाठकों के लिए इस किताब के महत्व के बारे में
J.V. Pawar had originally written this book in Marathi. Its Hindi translation, published by the Forward Press, is already in its second edition. Now, Forward Press has released the Hindi edition
दिल्ली से सटे गाजियाबाद में इस बार डॉ. आंबेडकर के महापरिनिर्वाण के मौके पर ज. वि. पवार की किताब ‘दलित पैंथर : एक आधिकारिक इतिहास’ का विमोचन किया जाएगा। इस मौके पर एक विचार गोष्ठी भी आयोजित है। इसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व प्राख्यात दलित लेखक श्योराज सिंह बेचैन मुख्य वक्ता होंगे
शायर मूलचन्द सोनकर ने बिंबों में उन किरदारों को लिया है, जिन्होंने दलितों-शोषितों-पिछड़ों पर जमकर अत्याचार किए हैं। सोनकर की शायरी में बहुजनों को झकझोरने की ताक़त है, तो जाति-वर्ण-भाषा-क्षेत्र के नाम पर लोगों का शोषण और उनसे भेदभाव करने वालों के ख़िलाफ़ गुस्सा भी है