समीक्षाधीन पुस्तक में केरल में दलित साहित्य का मूल्यांकन लेखक डॉ. बजरंग बिहारी तिवारी ने तीन स्तरों पर किया है। बीसवीं शताब्दी के केरल रेनेसां के रूप में, अंग्रेज मिशनरियों द्वारा किये गए आर्थिक व सामाजिक सुधारों के रूप में और नारायण गुरु, कुमारन आशान, अय्यंकालि, योहन्नान आदि के क्रन्तिकारी समाज सुधार आंदोलनों के रूप में। पूनम तुषामड़ की समीक्षा