करीब ढाई साल तक नैनी सेंट्रल जेल में रहने के दौरान डायरी लेखन की विधा का सार्थक उपयोग करते हुए सीमा आजाद ने 27 महिला बंदियों की दास्तान को दर्ज किया है जो अलग-अलग पृष्ठभूमियों से हैं और बर्बर पितृसत्ता व जातिवाद की शिकार हैं। नवल किशोर कुमार की समीक्षा