उत्तर प्रदेश और बिहार के कई जिलों में मनुस्मृति दहन दिवस का आयोजन किया गया। इस मौके पर दलित-बहुजन लोगों ने मनुस्मृति के साथ ही केंद्र सरकार के उन कानूनों की प्रतियां जलाईं जिनसे इन वर्गों के लोगों का अहित होता है। इनमें तीन कृषि कानून भी शामिल रहे। विशद कुमार की खबर
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ओबीसी आरक्षण पर आए इस संकट को वे भी समझ रहे हैं जो मौजूदा दौर में सरकार का हिस्सा हैं, लेकिन वे चाहकर भी मुंह नहीं खोल पा रहे हैं। इनमें से एक राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष भगवानलाल साहनी हैं जो स्वयं बिहार में अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं और निषाद समुदाय के हैं। नवल किशोर कुमार की खबर
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने एससी-एसटी के लिए आरक्षण में क्रीमीलेयर का प्रावधान किए जाने की बात हाल ही में कही है। इसका विरोध पार्टी के अंदर भी हुआ है। यदि ऐसा हुआ तो दलित-बहुजनों का समाज बंटेगा। भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सूरजभान कटारिया से कुमार समीर की बातचीत के प्रमुख अंश :
दिल्ली विश्वविद्यालय ओबीसी अभ्यर्थियों को 30 मार्च 2019 को या इसके बाद जारी गैर क्रीमीलेयर प्रमाणपत्र जमा करने को बाध्य कर ही रहा है, साथ ही ऑनलाइन फार्म भरने के समय विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आय के बारे में जानकारी मांगकर उन्हें परेशान किया जा रहा है
भाजपा सांसद डॉ. उदित राज ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावती रूख अख्तियार कर लिया है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के बयान की आलोचना की तथा पदोन्नति में आरक्षण संबंधी फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी पर क्रीमी लेयर लागू करने के फैसले का विरोध किया। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
अंडरग्रेजुएट कोर्सों के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। विश्वविद्यालय जहां एक ओर प्रक्रिया को सरल बनाने की बात कह रही है वहीं दूसरी ओर ओबीसी वर्ग के छात्रों के लिए प्रक्रिया को जटिल बनाया जा रहा है। पढ़िए नवल किशोर कुमार की यह रपट :
While the university seems to be emphasizing the simplification of the process, OBC students are finding that the process is anything but simple
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर दलितों और आदिवासियों में क्रीमीलेयर निर्धारित कर आरक्षण नहीं दिये जाने की बात कही गयी है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा सहित तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने इस मामले में संज्ञान लिया है। इस पूरी खबर और आरक्षण खत्म करने की साजिश के खिलाफ विस्तार से बता रहे हैं सत्येंद्र मुरली :
A petition filed in the Supreme Court asks for the creamy layer among Dalits and Adivasis to be ascertained and for it to be excluded from the purview of reservations. A three-judge Bench that includes Chief Justice Dipak Mishra has taken note of the petition. This is part of a larger conspiracy to end reservations, writes Satyendra Murali