महान साहित्यकार गोर्की जो [भारत में] दलित साहित्य की प्रेरणा बने; जिन्हें सोवियत साहित्य का पितामह कहा जाता है—‘गोर्की पथ’ उन्हीं के नाम को धारण किए हुए है। गोर्की की तरह ‘गोर्की पथ’ भी भव्य एवं निर्मैल्य है। यह राजमार्ग आज भी मास्को शहर की शोभा को चार-चांद लगाता है