रमा, मैं ज्ञान का सागर निकाल रहा हूं। मुझे और किसी का भी ध्यान नही है। परंतु यह ताकत जो मुझे मिली है, उसमें तुम्हारा भी हिस्सा है। तुम मेरा संसार संभाले बैठी हो। आंसुओं का जल छिड़ककर मेरा मनोबल बढ़ा रही हो। इसलिए मैं बेबाक तरीके से ज्ञान के अथाह सागर को ग्रहण कर पा रहा हूं।
–
डॉ. आंबेडकर और गांधी की टकराहट जगजाहिर है। उनके बीच अनेक मुद्दों पर तीखे मतभेद थे, लेकिन समय-समय पर संवाद भी कायम हुआ। अंततोगत्वा डॉ. आंबेडकर की बात को संविधान में स्वीकृति मिली। लेकिन डॉ. आंबेडकर के अलावा अनेक बहुजन विचारक हैं, जिनके विचारों को जानना-समझना वंचित वर्गों की मुक्ति के लिए जरूरी है :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
शिक्षण संस्थाओं व सरकारी नौकरियों में ओबीसी को आरक्षण देने संबंधी मंडल आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद, समाज में जाति के विरूद्ध विद्रोह की संभावनाएं बन रही थीं। इन्हें समाप्त करने के लिए ही बाबासाहेब पर कब्ज़ा करने की परियोजना शुरू हुई, बता रहे हैं तपन बसु।
This project of co-opting Babasaheb was a response to the prospect of an anti-caste revolt from below, in the wake of the implementation of the Mandal Commission’s recommendations for quota-based reservations in education and employment for OBCs, writes Tapan Basu