आदिवासी केवल प्रकृति की पूजा ही नहीं करते, वे उनकी रक्षा के लिए लड़ने-मरने से भी पीछे नहीं हटते। फिर चाहे उत्तराखंड की गौरा देवी का ‘चिपको आंदोलन’ हो या फिर झारखंड में आदिवासियत को बचाए रखने के लिए चल रहा आंदोलन, आदिवासियों का संघर्ष पूरी दुनिया में सराहा गया है। पढ़ें, जनार्दन गोंड का यह लेख