जगदीश पंकज ऐसे ही नवगीतकार हैं, जिनके नवगीतों में न केवल उनका समय पूरी शिद्दत से रेखांकित हुआ है, बल्कि धर्म, जाति, समाज, राष्ट्र और सत्ता की परख भी उनके मानवीय और लोकतांत्रिक विवेक से हुई है। बता रहे हैं कंवल भारती
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नवगीत परंपरा में जगदीश पंकज ही मात्र ऐसे कवि हैं, जिन्होंने हिंदी साहित्य में जन्मी इस नवीन गीत विधा में सदियों से जाति-व्यवस्था के शिकार, उपेक्षित, तिरस्कृत और बहिष्कृत समुदायों की आवाज को स्वर देने का कार्य किया है और बहुत कम समय में साहित्य की मुख्यधारा कही जाने वाली पंक्ति में अपना स्थान और पहचान सुनिश्चित की है। बता रही हैं पूनम तुषामड़