बीएचयू के पास डोसा का दुकान चलानेवाली झरना कहती हैं कि दोनों बार लॉकडाउन के समय सरकार की तरफ से हमें एक किलो गेहूं तक नहीं मिला। दूसरी बार लॉकडाउन के दौरान हमने जान जोखिम में डालकर ठेला लगाया था। हम ठेला नहीं लगाएंगे तो खाएंगे क्या? हम भूखे मरते रहे। जरूरत के समय प्रधानमंत्री कहां थे? आकांक्षा आजाद की प्रस्तुति