मलखान सिंह की कविताएं कलावादी और शास्त्रीय परम्परा के बिल्कुल उलट दलित जीवन की दुश्वारियों को सामने लाती हैं। इनकी कविताएं पढ़ने के बाद कविताओं से जिरह करने के बजाय व्यक्ति अपने से सवाल करता है कि हम कैसे समाज में रह रहे हैं, जिसमें दलितों को मनुष्य ही नहीं समझा जाता है। बता रहे हैं युवा समालोचक सुरेश कुमार