Kanwal Bharti reviews Ambedkar’s studies of myths that are even today passed off as Ancient Indian History. Ambedkar discovered that the ‘Gita’ was written to nullify the Buddha’s anti-caste movement and that the characters of Ram and Krishna aren’t role models, much less gods
लेखक कंवल भारती बता रहे हैं हिन्दू धर्म ग्रंथों में वर्णित मिथकों के संदर्भ में डॉ. आंबेडकर के अध्ययन के बारे में। अपने अध्ययन में डॉ. आंबेडकर गीता को बुद्ध द्वारा जाति उन्मूलन के प्रयास के विरोध में रचित पाते हैं। साथ ही वे राम-कृष्ण के चरित्र के बारे में कहते हैं कि ये दोनों कोई आदर्श पुरूष नहीं थे और न ही ये देवता थे
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डॉ. आंबेडकर के धर्मपरिवर्तन और उनके व्यक्तित्व के बारे में पेरियार का यह भाषण दलित-बहुजन आंदोलन के इतिहास का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इस भाषण में पेरियार धर्म और धर्मपरिवर्तन के संदर्भ में डॉ. आंबेडकर नजरिए और इस पूरे प्रसंग में उनकी खुद की भूमिका क्या रही, इसे भी उद्घाटित कर रहे हैं
It is strange that Ambedkar is depicted holding the Constitution and not, for instance, ‘Annihilation of Caste’ or ‘The Buddha and his Dhamma’
लेखक हेसूस याचरेज बता रहे हैं कि आखिर आंबेडकर को हमेशा केवल संविधान के साथ ही क्यों दिखाया जाता है। उनके हाथों में कभी ‘जाति का विनाश’ या ‘बुद्ध और उनका धम्म’ क्यों नहीं होती?
V. Geetha writes that Periyar held that annihilation of caste would necessitate ‘the abolition of God, Religion, Shastras and Brahmins’. He also attacked patriarchy and ‘Brahmin nationalism’ in pursuit of true human freedom
वी. गीता इस लेख में पेरियार की विचार-यात्रा एवं संघर्ष के केंद्रीय बिन्दुओं को रेखांकित करते हुए यह बता रही हैं कि क्यों पेरियार की नजर में जाति के पूरी तरह से विनाश के लिए इसे पोषित करने वाले ईश्वर, शास्त्रों और ब्राह्मणवाद का विनाश जरूरी है? क्यों मानव मुक्ति के लिए पितृसत्ता और अंधराष्ट्रवाद से भी मुक्ति मिलनी भी जरूरी है
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश कंपनियों का विलय समान जाति के मालिकाने वाली कंपनियों से ही होता है। यानी यदि किसी कंपनी के मालिकों की सामाजिक पृष्ठभूमि ब्राह्मण की है तो वह कंपनी उसी कंपनी के साथ समझौते और विलय करना चाहती है जिसके मालिकों की पृष्ठभूमि भी ब्राह्मण हो
जोतीराव फुले और डॉ. आंबेडकर दोनों का संघर्ष अपने समाज के अलावा समय के साथ भी है. अतएव बिना उनके इतिहास को जाने, बगैर उस समय की पड़ताल किए उनके योगदान को समझ पाना असंभव है
बहुजन विमर्श को विस्तार देतीं फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित किताबों को ऑनलाइन खरीदना और आसान हो गया है। अब आप अमेजन और फ्लिपकार्ट के जरिए अपने मोबाइल अथवा लैपटॉप की सहायता से बस कुछ सेकेंडों में ही खरीद सकते हैं
डॉ. आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर दिल्ली से सटे गाजियाबाद में आंबेडकर में ही संविधान के खतरों का निदान विषय पर आयोजित परिचर्चा का सार यही रहा कि आंबेडकर के सिद्धांतों पर चलकर ही संविधान पर आए संकट को खत्म किया जा सकता है। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
आगामी 6 दिसंबर 2018 को गाजियाबाद में दलित-बहुजन बाबा साहब के महापरिनिर्वाण दिवस के मौके पर जुटेंगे। इस अवसर पर फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित ‘जाति का विनाश’ के अलावा बाबा साहब की आत्मकथा ‘वेटिंग फॉर वीजा’ का विमोचन होगा। फारवर्ड प्रेस की खबर :