कबीर का व्यक्तित्व और सृजन निरंतर आलोचकों को अपनी ओर खींचता रहा है। इस प्रक्रिया में उनकी जाति भी विमर्श का विषय बनती रही। कबीर की सामाजिक पृष्ठभूमि का व्यापक विश्लेषण कमलेश वर्मा ने अपनी किताब, ‘जाति के प्रश्न पर कबीर’ में किया है। इस काम में उन्हें कितनी सफलता मिली है, इसका आकलन कर रहे हैं, स्वदेश कुमार सिन्हा :