प्रसिद्ध आलोचक वीरेंद्र यादव के मुताबिक– “हिंदी का एक कवि जो स्वयं को हाशिये के समाज के पैरोकार के रुप में प्रस्तुत करता है। जो इतना कोमल और सहृदय है कि ‘प्रेमपत्र’ बचाना उसकी मानवीय आर्द्रता का प्रमाण है। वही बहेलिये के रुप में जब समाज के हाशिये की पृष्ठभूमि से आई नई मेधा का अपने निदेशकत्व वाले संस्थान में उच्चतम रेटिंग के बावजूद ‘नन फाऊंड सूटेबिल’ का टैग लगाकर शिकार करता है।”