जोतीराव फुले के परिनिर्वाण दिवस की पूर्व संध्या पर पटना में आयोजित एक गोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध कथाकार व ‘कथांतर’ पत्रिका के संपादक डॉ. राणा प्रताप ने कहा कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जीवन के चार लक्ष्य बतलाए गए हैं। बाद में यही सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रतीक बन गए। धर्म की सत्ता को सबसे ऊपर रखने का मकसद भी हर तरह के यथास्थितिवाद को बनाये रखना था। अरुण नारायण की रपट