तेजी से घट रही असुर समुदाय की आबादी एक बड़ा सवाल है। सवाल एकआयामी नहीं बल्कि बहुआयामी हैं जो सीधे तौर पर सबसे प्राचीनतम जनजाति के अस्तित्व के बुनियादी अधिकारों से जुड़ा है। दिलचस्प यह कि सरकारें पुरातत्व अध्ययन, पर्यटन को बढ़ावा देने के क्रम में निर्जीवों का ख्याल तो रखती हैं लेकिन इंसानों का नहीं और न ही उनकी संस्कृति का। एफपी टीम की जमीनी रिपोर्ट :