जिस दिन सभी दलित जातियों की दारूण कथाएं और उन पर हुए अत्याचारों का विवरण साहित्य में आ जाएगा, उस दिन से एक नई साहित्यिक और सामाजिक क्रांति की शुरूआत होगी। बता रहे हैं प्रो. कालीचरण ‘स्नेही’
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