“बनारस शहर के राजघाट, मच्छोदरी, मैदागिन, मुकीम गंज, चौक, गोदौलिया, लंका, कैंट स्टेशन से चलकर आप कहीं भी चले जाइए, मोचियों के बैठने का स्थान नालियों के ठीक ऊपर है। चौक से दालमंडी की ओर जाने वाले रास्ते पर जहां मोची बैठते हैं, उनके ठीक सर पर सरकार का बनवाया हुआ पेशाब घर है। वहां इतनी बदबू है कि एक मिनट खड़ा नहीं रहा जा सकता। वहां मोची कैसे सुबह से रात तक बैठे रहते हैं?” डॉ. मंजू देवी की किताब ‘नाली पर मोची’ का पुनर्पाठ कर रहे हैं कंवल भारती