राज्याधीन मेडिकल कालेजों में ऑल इंडिया कोटे की सीटों पर ओबीसी रिजर्वेशन लागू न होने से अब तक कम से कम 10 हजार सीटें सवर्ण अभ्यर्थियों के पाले में जा चुकी हैं। इन पर ओबीसी युवाओं का हक था। लेकिन सब जानते हुए भी हिंदी प्रदेशों के ओबीसी नेतागण किस तरह खामोश रहे हैं, बता रहे हैं दीपक के. मंडल
–
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि ओबीसी ग्रांट का पैसा ओबीसी के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसका दूसरे मद में उपयोग अनुचित है। उन्होंने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि ओबीसी छात्रों को दाखिले के समय परेशान किया जाता है
यह आशंका गैरवाजिब नहीं है कि नई शिक्षा नीति से शिक्षा केवल पैसे वालों के लिए रह जाएगी। गरीब-गुरबे, जिनमें से अधिकांश दलित,आदिवासी और पिछड़े वर्गों के हैं, शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। बता रहे हैं आशीष रंजन
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को यह चेतावनी भी दी है कि यदि उन्होंने आयोग को मांगी गयी सूचनाएं उपलब्ध नहीं करवाईं तो उन्हें आयोग के समक्ष व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने के लिए सम्मन जारी किया जाएगा। नवल किशोर कुमार की खबर
किसी एक राज्य में एससी/एसटी श्रेणी में आने वाले छात्रों के लिए किसी अन्य राज्य में एससी/एसटी कोटे के तहत एमबीबीएस में प्रवेश मुश्किल होता जा रहा है। मद्रास हाईकोर्ट का इस बारे में हाल में आया निर्णय इस बात का ठोस संकेत देता है
This post is only available in Hindi.
Visit the Forward Press Facebook page and and follow us on Twitter @ForwardPressWeb