मूकनायक के प्रकाशन के सौ वर्ष पूरे होने पर दिल्ली में एक खास समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर लगभग सभी ने शिद्दत से महसूस किया कि मीडिया के क्षेत्र में स्थितियां अब भी वैसी ही हैं जैसी कि आंबेडकर के समय में थीं। फारवर्ड प्रेस की खबर
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दिलीप मंडल समेत तीन पत्रकार माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से ऐजंगक्ट प्रोफेसर के रूप में जुड़े हैं। उनकी नियुक्ति से शैक्षणिक माहौल की जड़ प्रवृत्तियों के टूटने में मदद मिल सकती है। कमल चंद्रवंशी की रिपोर्ट
वर्ष 2011 में हुए जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गयी है। जबकि तीन साल बाद 2021 में फिर से जनगणना किया जाना है। ऐसे में यह सवाल तो उठता ही है कि आखिर किन कारणों से रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया। ऐसे ही सवाल को लेकर रामबहादुर राय और दिलीप मंडल के बीच खींचतान सामने आयी। बता रहे हैं डॉ. सिद्धार्थ :
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शायद उनके मन में एक कसक रह जाती है कि मैं धर्म की ताकत को क्यों नहीं समझना चाहता, इसी प्रकार मेरे मन में भी यह आता है कि आखिर वे भौतिकवाद की सच्चाई को क्यों नहीं स्वीकार करते! मेरे देखे यही द्वंद्वात्मकता फारवर्ड प्रेस की ताकत रही है
They must be somewhat pained that I am not ready to acknowledge the power of faith; but I also sometimes wonder why they do not accept the truth of materialism. As I see it, this dialectics has been the strength of FP
इंटरनेट पर इस पत्रिका को ज्यादा होना चाहिए। गूगल सर्च में यदि कोई फुले के बारे में कुछ सर्च कर रहा है तो फारवर्ड प्रेस के कम से कम दो-तीन लेख आ जाने चाहिए
This magazine should also been seen more on the internet. If someone Googles ‘Phule’, then at least two-three issues of the magazine should appear in the search results.