बक्सर जिले में बीते 28 अक्टूबर को पुलिस ने पेरियार संतोष यादव को तब गिरफ्तार किया था जब शहर के ज्योति चौक पर बड़ी संख्या में बहुजन महिषासुर शहादत दिवस समारोह मनाने जुटे थे। उन्हें 1 नवंबर को रिहा कर दिया गया। उनके खिलाफ मामला दर्ज करवाने वाले दीपक यादव के मुताबिक यह द्विजों की राजनीति थी। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
दलित-बहुजनों के आदर्शों, पुरखों को सांस्कृतिक आयोजनों के बहाने सरेआम बेइज्जत किया जाता रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है असुर सम्राट महिषासुर का दुर्गा पूजा के अवसर पर वध प्रदर्शित करना, जिसके खिलाफ अब व्यापक पैमाने पर होने लगी है मुखालफत। बता रहे हैं उज्ज्वल विश्वास :
The ideals and ancestral traditions of the Dalitbahujan have been perpetually insulted in the garb of cultural and religious events. The prime example is the gory display of the slaughter of Asur king Mahishasur on the occasion of Durga Puja, which is now being challenged openly and vehemently, writes Ujjwal Vishwas
बिहार के बक्सर में महिषासुर शहादत दिवस समारोह आयोजन के दौरान द्विजवादियों ने पुलिस के संरक्षण में हंगामा किया। शहर में तनाव की स्थिति है। आयोजक पेरियार संतोष यादव की गिरफ्तारी से बहुजन संगठनों में आक्रोश है। पुलिस की गश्त तेज कर दी गई है तथा प्रशासन को हाई-अलर्ट पर रखा गया है। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
बीमारी के इलाज में हो रहे खर्च के कारण आर्थिक तंगी के बावजूद लोकेश अब निराशा के धुंध से निकल अपने लिए योजनायें बना रहे हैं। पूछने पर कहते हैं कि यदि कैंसर ने उन्हें पांच साल और मौका दे दिया तब वे कम से कम पचास लोकेश सोरी तैयार कर देंगे जो ब्राह्मणवादियों की शोषणकारी व्यवस्था व उनकी परंपराओं से लोहा ले सकेंगे। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
Despite the mounting expenses on treatment of his disease and his lack of monetary resources, Lokesh Sori is now coming out from the depths of depression and is making plans for the future. When asked, he said if cancer allows him to live for five more years, he would shape at least 50 Lokesh Soris to take on the exploitative Brahmanical system and its traditions. Forward Press reports
हम जिस गांव की बात कर रहे हैं, वहां सवर्ण बस्ती भी है। लेकिन इस बार दशहरा के मौके पर उस बस्ती में दुर्गा की कोई प्रतिमा नहीं बिठायी गयी। पूरे गांव में केवल दो लोगों के यहां दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया। एक दीपचंद तो दूसरे रघुनाथ नामक व्यक्ति के नेतृत्व में कुर्मी बस्ती में। फारवर्ड प्रेस की खबर
The village we are talking about has a savarna settlement. But Durga idol was not installed in the village this year in the settlement. Durga Puja was organized in only two homes of the village – Deepchand’s and Raghunath’s – both in the kurmi settlement in the village. Forward Press reports
आगामी 19 अक्टूबर को झारखंड के बोकारो में आदिवासी विजयादशमी के बजाय हुदूड़ दुर्ग मनाएंगे। आदिवासी महिषासुर को अपना पुरखा मानते हैं और कहते हैं कि हिंदुओं ने उनकी हत्या छल से की। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
महिषासुर के अपमान के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने वाले सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता लोकेश सोरी कैंसर से जूझ रहे हैं। आरएसएस के लोग प्रचाारित कर रहे हैं कि उनकी बीमारी दुर्गा के कोप का प्रभाव है। सरसंघचालक रहे गोलवलकर भी कैंसर से मरे थे, तो क्या यह माना जाए कि उन्हें महिषासुर का कोप लगा था? फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
Social and cultural worker Lokesh Sori, who had an FIR registered against the depiction of Mahishasur’s slaughter, is battling cancer. The RSS men are claiming that the cancer is a result of Durga’s ire. But then, Golwalkar, the second sarsanghchalak of the RSS, also had cancer and eventually succumbed. Was he cursed by Mahishasur? FORWARD Press reports
हाल के वर्षों में अब बिहार में भी मूलनिवासियों में सांस्कृतिक बोध का प्रसार हुआ है और द्विजों के वर्चस्ववादी परंपराआें का प्रत्यक्ष विरोध कर रहे हैं। बिहार में इस वर्ष भी महिषासुर शहादत दिवस की तैयारियां जोरों पर है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
दुर्गा की मूर्ति के लिए मिट्टी इस बार भी नहीं देंगी सोनागाछी की यौनकर्मी सदियों से औरतों के जिस्म बेचने के धंधे से फल-फूल रहा मर्दवादियों-ब्राह्मणवादियों को यह समाज दुर्गा के नाम पर यौनकर्मियों के घरों की मिट्टी भी बाजार में बेचता रहा है। देवताओं के बाजार में यह धंधा तब भी शुरू है जबकि यौनकर्मी अपने आंगन की मिट्टी देवी दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए देने को तैयार नहीं हैं…
The sex workers of Sonagachi refused to give soil for the idol of Durga again this year. The flourishing patriarchal, brahmanical society which has traded the body of women for centuries has also sold the mud from their houses, but now sex workers say enough is enough. Prema Negi reports
दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई में कहा प्रोफेसर मंडल को सस्पेंड करने के लिए कॉलेज के प्रिंसिपल जिम्मेदार नहीं हैं तो चेयरमैन को पार्टी बनाइये। कोर्ट ने क्षोभ जताया कि इतने लंबे समय से एक विकलांग शिक्षक का मानसिक उत्पीड़न क्यों किया जा रहा है। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :