कबीर जयंती के मौके पर कमलेश वर्मा बता रहे हैं कि जाति के प्रश्नों पर विचार करते हुए कबीर का न्यारापन सामने आता है. वे जाति-व्यवस्था का विरोध करते हैं, लेकिन जाति-आधारित सामाजिक संरचना को सबसे ज्यादा व्यक्त भी करते हैं. वे जाति के अनुसार निर्धारित कर्मों को अस्वीकार भी करते हैं और भक्ति की ज़मीन से उन कर्मों को रूपक के रूप में प्रकट भी करते हैं