फारवर्ड प्रेस से बातचीत में प्रकाश आंबेडकर बता रहे हैं कि सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग के जरिए दलित-बहुजनों के हक की हकमारी हो रही है। समान काम के लिए असमान वेतन गैरसंवैधानिक है
In conversation with FORWARD Press, Prakash Ambedkar says that outsourcing of jobs by the government departments is encroaching upon the rights of Dalitbahujans and that ‘equal work, unequal pay’ is unconstitutional
यह कहना तर्कसंगत नहीं है कि सरकारी सेवाओं के अधीन नौकरियों में इतनी कमी आ गयी है कि अब आरक्षण का कोई मतलब नहीं रह गया है। वास्तविकता तो यह है कि राज्य के कार्यक्षेत्र में कुछ कमी आने के बावजूद, राज्य के अधीन रोज़गार के अवसर किसी भी तरह से कम नहीं कहे जा सकते
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ओबीसी, दलित और आदिवासी समाज के भीतर आक्रोश और सजगता एक साथ दिख रही है। यह अपने को बहुजन के रूप में संगठित करने की कोशिश कर रहा है। अपने बुनियादी मुद्दों को चिन्हित कर रहा है । इस संदर्भ विजन डॉक्यूमेंट 2019 तैयार करने के लिए बहुजन समाज के लोगों की एक बैठक हुई। एक रिपोर्ट
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