सार्वजनिक क्षेत्र किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। वे देश की आधारभूत संरचना को मजबूत करने के काम आते हैं। लेकिन भारत सरकार इनके निजीकरण और विनिवेश को बढ़ावा दे रही है। दलित-बहुजनों के हितों के आलोक में इसके कारण बता रहे हैं ओमप्रकाश कश्यप
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पहले नोटबंदी, बाद में जीएसटी और अब कोरोना के कारण बुनकरों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उनके सामने राेजी-रोटी का संकट है। क्या यह संभव नहीं है कि सरकार इनके सवालों पर गंभीरतापूर्वक और सहानुभूतिपूर्वक विचार करे? सवाल उठा रहे हैं जुबैर आलम
लोकसभा चुनाव में काफी कम समय बचा है। सत्तापक्ष को घेरने के लिए विपक्ष ने कमर कस ली है। इसी क्रम में बहुजन समाज पार्टी ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जनता से माफी मांगने की मांग की है। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
नोटबंदी के बाद जनता को क्या मिला या उसे क्या नुकसान हुए, यह सवाल दीगर है। अभी तक केंद्र सरकार ने सीधे तौर पर इस सवाल का जवाब नहीं दिया है। लेकिन नोटबंदी का एक फायदा सत्तासीन भाजपा को जरूर मिल रहा है। एडीआर की रिपोर्ट के हवाले से कारपोरेट कंपनियों द्वारा भाजपा पर की जा रही मेहरबानी के बारे में बता रहे हैं नवल किशोर कुमार :
The costs and benefits of demonetization for the people at large are disputed. However, the ruling BJP is surely one of the beneficiaries, according to a report published by the Association for Democratic Reforms (ADR). The corporates have been lavishing the party with funds
विकास के तमाम दावों के बीच असलियत यही है कि गुजरात में वर्ष 2003 से लेकर 2016 तक 2766 किसानों ने खुदकुशी की है। मध्यप्रदेश के जैसे ही यहां के किसानों ने भी आंदोलन तेज कर दिया है। इस क्रम में वे आगामी 21 जून को विश्व योग दिवस के मौके पर उपवास योग कर अपना विरोध प्रदर्शित करेंगे
Despite the tall claims of Gujarat’s development, as many as 2,766 of the state’s farmers have committed suicide between 2003 and 2016. Like in Madhya Pradesh, farmers have intensified their agitation here. On 21 June, the World Yoga Day, they plan to hold ‘upvaas’ (fasting) yoga
नगदी-विहीन अर्थव्यवस्था का शोशा बहुजनों को उन गावों, ज़मींदारों और साहूकारों की याद दिला रहा है, जिन्हें वे पीछे छोड़ आये हैं- उस दौर की जब उन्हें उनके श्रम का भुगतान हमेशा वस्तुओं में किया जाता था, नकदी में नहीं। उन्हें उनकी मेहनत का वाजिब मुआवजा कभी नहीं मिलता था क्योंकि उसका हिसाब लगाने का कोई तरीका ही नहीं था
The rhetoric of a cashless economy would remind Bahujans of the village, landlords and moneylenders they left behind – where they were paid in kind for their labour and always less than what they were entitled to because their dues were never accurately calculated
भारत की लगभग सभी सरकारों ने काले धन को सफेद करने के कई रास्ते खोले, जिनमें डीटीएए, पार्टीसिपेटरी नोट्स और विदेशी संस्थागत निवेश शामिल हैं। मोदी सरकार ने ला फर्म ‘मोसैक फोंसेका’ में काला धन जमा करने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की
Successive Indian governments have created ways to turn black money into white money – through DTAA, participatory notes and FII. Also, Mr Modi’s government hasn’t taken any action against the black-money hoarders linked to Mossack Fonseca