बीते 3 मार्च को कंस्टीच्यूशन क्लब में आयोजित परिचर्चा में कोलेजियम सिस्टर पर सवाल उठाया गया। वक्ताओं ने कहा कि जब एक आईएएस दूसरे आईएएस को नहीं चुनते फिर जज आपस में मिलकर दूसरे जज को कैसे चुन सकते हैं?
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समाज के किसी भी वर्ग के नौजवान प्रतियोगिता परीक्षाओं के जरिए आईएएस और आईपीएस बन सकते हैं। लेकिन वे न्यायाधीश नहीं बन सकते। यह तब तक नहीं होगा, जब तक न्यायपालिका का लोकतांत्रीकरण नहीं होता। बता रहे हैं अनिल कुमार :
न्यायपालिका में परिवारवाद के खिलाफ आंदोलन छेड़ने के लिए भाजपा सांसद डॉ. उदित राज ने अपने संगठन अनुसूचित जाति/जनजाति संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ के बैनर तले आगामी 3 दिसंबर को दिल्ली में रैली का आह्वान किया है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
देश के 22 शहरों में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज हैं। उनमें ज्यादातर में ओबीसी के लिए जगह नहीं है। पिछड़े बहुजन समाज के छात्र परेशान हैं। उनका कहना है कि एजूकेशन में एक लॉबी ऐसी है जो चाहती है कि सामाजिक न्याय के लिए कानून में उनकी लड़ाई मजबूत करने वाला कोई रहे ही नहीं। जानकार कह रहे हैं कि रास्ता सरकारों ने ही बंद किया है। कमल चंद्रवंशी दे रहे हैं ब्यौरा :
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केंद्र की मोदी सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक अधिकार देने के अपने वादे को पूरा किया। लेकिन विपक्ष के हमले कम नहीं हुए हैं। ओबीसी को लेकर कई और मांगें राज्यसभा में तब उठाई गईं जब विधेयक को राज्यसभा में पेश किया गया। फारवर्ड प्रेस की खबर :
न्यायपालिका इन दिनों चर्चा में है। खासकर सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस और विपक्ष द्वारा महाभियोग लाये जाने के प्रयास के बाद कई सवाल उठने लगे हैं। केंद्र सरकार में शामिल उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने जजों की नियुक्ति को लेकर हल्ला बोल का आह्वान किया है। इस संबंध में बीरेंद्र यादव और नवल किशोर कुमार ने रालोसपा के वरिष्ठ नेता रामबिहारी सिंह से बातचीत की :
The judiciary has been in the news, especially after the four judges held a press conference to air their concerns about the Chief Justice’s conduct and the opposition’s requested impeachment proceedings against him in Parliament. Upendra Kushwaha’s party, which is part of the government, has sounded a war cry against the way judges are recruited. Senior RLSP leader Rambihari Singh tells Birendra Yadav and Naval Kishore Kumar why the party has decided to speak out
राजस्थान हाईकोर्ट के नियमों के मुताबिक 250 अंकों की लिखित परीक्षा में कम से कम 40 प्रतिशत और साक्षात्कार के 30 अंकों में से न्यूनतम 7.5 अंक लाने वाले को ही नियुक्ति के योग्य माना जाता है। प्रथम स्थान पर रहे दलित वकील को लिखित में 250 में से 131 अंक प्राप्त हुए परंतु साक्षात्कार में उसे 30 में से सिर्फ 6 अंक ही दिए गए
According to the rules of Rajasthan HC, only candidates who score at least 40 per cent in the written test of maximum 250 marks and at least 7.5 marks in the 30-mark interview are considered eligible for appointment. The Dalit lawyer who stood first obtained 131 marks in the written exam but he was given only 6 marks in the interview