अभी हाल ही मैंने अपने साथियों के साथ बिहार में कार्यरत मीडिया संस्थानों की जातीय बनावट को लेकर काम करना शुरू किया। मेरा यह काम अभी काफी प्रारंभिक अवस्था में है। लेकिन इसके जो संकेत मिल रहे हैं, उसके अनुसार मीडिया में अन्य पिछडा वर्ग की नयी पौध बहुत तेजी से आगे आ रही है